तुम फिर कहीं मत जाना। बसन्त तुम इस तरह से आना। तुम फिर कहीं मत जाना। बसन्त तुम इस तरह से आना।
सब को तुम यह ज्ञान कराओ जीवन को तुम स्वर्ग बनाओ। सब को तुम यह ज्ञान कराओ जीवन को तुम स्वर्ग बनाओ।
सूरज की किरणों ने निशा के तम को दूर किया रात्रि कितनी भी लंबी हो ढल जाती है सूरज की किरणों ने निशा के तम को दूर किया रात्रि कितनी भी लंबी हो ढल जात...
गीत, कथा, मिथक, संगीत परम्पराओं की है अनुगूँज गीत, कथा, मिथक, संगीत परम्पराओं की है अनुगूँज
भोर की किरण। चहचहाहट गूंजित भरी, पल्लवित पुष्प नगरी, रंगबिरंगी सुगंध करती।। भोर की किरण। चहचहाहट गूंजित भरी, पल्लवित पुष्प नगरी, रंगबिरंगी सुगंध कर...
तो कविता क्या है ? मेरे जीने का आइना। तो कविता क्या है ? मेरे जीने का आइना।